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कविता

सोच और सच

सुमित पी.वी.


पलंग पर लेट कर
शाम के वक्त
कुछ सोच रहा था
कुछ सोच रहा था
तो छिपकली की आवाज
निकली चिल-चिल
किसी ने कहा था
जब कभी कुछ सोचते वक्त
छिपकली की आवाज निकली
तो वह सच निकलेगा।
क्या थी मेरी सोच?
मेरा सपना?
कब होगा वह सच?


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