पलंग पर लेट कर शाम के वक्त कुछ सोच रहा था कुछ सोच रहा था तो छिपकली की आवाज निकली चिल-चिल किसी ने कहा था जब कभी कुछ सोचते वक्त छिपकली की आवाज निकली तो वह सच निकलेगा। क्या थी मेरी सोच? मेरा सपना? कब होगा वह सच?
हिंदी समय में सुमित पी.वी. की रचनाएँ
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